भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है और यहाँ डेयरी बिज़नेस को एक स्थायी और लाभकारी विकल्प माना जाता है। खासकर छोटे और मध्यम किसान अगर सहकारी समिति के माध्यम से दूध व्यवसाय शुरू करते हैं तो उन्हें सामूहिक संसाधनों और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। अमूल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जो आज 18,000 से अधिक सहकारी समितियों के साथ जुड़ा हुआ है।
सहकारी समिति का गठन
सब्सक्राइब करने के लिए सबसे पहले किसानों को एकजुट करना होता है। आमतौर पर 10 से 15 सदस्य न्यूनतम शेयर खरीदकर समिति में शामिल होते हैं। समिति का मुख्य उद्देश्य दूध का संग्रह, प्रसंस्करण और विपणन करना होता है। इसके बाद एक बिज़नेस प्लान बनाया जाता है जिसमें यह तय किया जाता है कि केवल दूध बेचना है या दही, घी, पनीर जैसे अन्य उत्पाद भी बनाने हैं।
पंजीकरण और कानूनी प्रक्रिया
सहकारी समिति को राज्य सहकारी अधिनियम के तहत पंजीकृत करना अनिवार्य है। इसके लिए जिला सहकारी रजिस्ट्रार से संपर्क करना होता है और सदस्यों की सूची, शेयर पूंजी और उपविधियों आदि जैसे प्रमाण पत्र जमा करने पड़ते हैं। इसके अलावा, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (FSSAI) से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है। बड़े स्तर पर कार्य करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी मंजूरी की आवश्यकता होती है।
संरचना और संचालन
साफ-सुथरा दूध संग्रह केंद्र, स्टेनलेस स्टील कंटेनर, इलेक्ट्रॉनिक मिल्को टेस्टर और कूलर जैसी मशीनें डेयरी बिज़नेस के लिए जरूरी हैं। पशुओं के लिए पौष्टिक चारे और साफ पानी की व्यवस्था भी करनी पड़ती है। पशु स्वास्थ्य सेवाएं, कृत्रिम गर्भाधान और किसानों का प्रशिक्षण भी इस प्रक्रिया का अंग है। समिति का संचालन प्रबंध समिति करती है जो नीतियां तय करती है और काम की देखरेख करती है।
मार्केटिंग और विस्तार
डेयरी बिज़नेस की शुरुआत स्थानीय दुकानों, होटलों और घरों तक दूध सप्लाई करने से की जा सकती है। उसके बाद दही, पनीर, घी और फ्लेवर दूध जैसे उत्पादों से लाभ बढ़ाया जा सकता है। आजकल डिजिटल मार्केटिंग और होम डिलीवरी सेवाएं भी इस व्यवसाय को तेजी से आगे बढ़ा रही हैं।
अतिरिक्त सुविधाएं
सहकारी सोसायटियों में किसानों को पशु चिकित्सा सेवाएँ और प्रशिक्षण का आनंद मिलता है। दूध उत्पादन को कृत्रिम गर्भाधान और उन्नत नस्ल के पशुओं के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है। सरकार समय-समय पर डेयरी किसानों के लिए तकनीकी कार्यशालाएँ भी आयोजित करती है।
डेयरी बिज़नेस का सबसे बड़ा डिसप्ले यह है कि यह लंबे समय तक स्थिर आय का सूत्र बन सकता है। छोटे किसान भी सहकारी समितियों के साथ जुड़कर बड़ी कम्पनियों जैसे अमूल, मदर डेयरी और अन्य नेटवर्क का हिस्सा बन सकते हैं। सामूहिक अध्ययन से उत्पादन बढ़ता है और बाजार तक पहुंच आसान हो जाती है।